Honoring Ancestors with TriPindi Shradh Puja
TriPindi Shradh Puja
आयुः पुत्रान् यशः स्वर्गं कीर्तिं बलं श्रियम् |
पशून् सौख्यं धनं धान्यं प्राप्नुयात् पितृपूजनात् || (यमस्मृति )
Rs. 100/-
आयुः प्रजां धनं विद्यां स्वर्गं मोक्षं सुखानि च | प्रयच्छन्ति तथा राज्यं पितरः श्राद्धतर्पिताः || (मार्कण्डेयपुराण )
श्राद्ध करने का फल
जो प्राणी विधिपूर्वक शान्तमग्न होकर श्राद्ध करता है , वह सभी पापों से रहित होकर मुक्ति को प्राप्त होता है तथा फिर संसार के चक्र में नहीं आता है | इतना ही नहीं श्राद्ध अपने अनुष्ठाता की आयु को बढा देता है, पुत्र प्रदानकर कुल-परम्परा को अक्षुण्ण रखता है, धन धान्य अम्बार लगा देता है, शरीर में बल पौरुष का संचार करता है , पुष्टि प्रदान करता है और यश का विस्तार करते हु सभी प्रकार के सुख प्रदान करता है –

Establishing a Strong Connection with Ancestors
अर्थात् श्राद्ध से संतुष्ट होकर पितृगण श्राद्धकर्ता को दीर्घ आयुः , संतति, धन, विद्या, राज्य, सुख, स्वर्ग एवं मोक्ष प्रदान करते हैं |
यहां तक लिखा हुआ है कि जो श्राद्ध करता है, जो उसके विधि विधान को जानता है, जो श्राद्ध करने की सलाह देता हौ और जो श्राद्ध का अनुमोदन करता है – इन सबको श्राद्ध का पुण्य मिल जाता है –
उपदेष्टानुमन्ता च लोके तुल्यफलौ स्मृतौ || (बृहस्पति )
Ensuring Peace and Prosperity for Descendants
श्राद्ध न करने वाले को कष्ट
श्राद्ध न करने वाले को भी पग-पग पर कष्ट का सामान करना पडता है | मृत प्राणी बाध्य होकर श्राद्ध न करने वाले अपने सगे समन्धियों का रक्त चूसने लागते हैं –
श्राद्धं न कुरुते मोहात् तस्य रक्तं पिबन्ति ते | (ब्रह्मपुराण )


Preserving Family Traditions and Values
देवकार्यादपि सदा पितृकार्यं विशिष्यते |
देवताभ्यो हि पूर्वं पितॄणामाप्यायनं वरम् ||
देवताभ्यो हि पूर्वं पितॄणामाप्यायनं वरम् ||
TriPindi Shradh Puja is an important part of many cultural and religious traditions. By performing this ritual, families can uphold their heritage and pass down these customs to future generations. It serves as a reminder of the importance of honoring one’s roots and maintaining a connection to the past. Through the shared experience of the puja, families can strengthen their bonds and create a sense of belonging.








